राहू क्या है ...
ओशो के बारे मे जितना कहे कम है यहा कुछ ओशो कथाएं दे रहे है उम्मीद है आपको पसंद आएगी follow aur subscribe ka button click kre aur मेरे touch me रहे
✔️[1] हींग, कपूर और कालीमिर्च के टोटके
5 ग्राम हींग, 5 ग्राम कपूर तथा 5 ग्राम काली मिर्च को मिलाकर पाउडर बना लें और फिर उस चूर्ण की राई के दाने बराबर गोलियां बना लें। अब इन गोलियों को *दो* बराबर हिस्सों में बाँट लें। एक
हिस्से को सुबह और दूसरे हिस्से को शाम के समय घर में जलाएं।
इस तरह लगातार तीन दिनों तक करने से घर में किसी तरह की कोई बुरी शक्ति होती है तो वह चली जाती है। *बुरी नज़र* उतर जाती है और किसी भी तरह की *नेगटिव एनर्जी* ख़त्म हो जाती है।
✔️ [2] कपूर के चमत्कारी टोटके
✔️पूजा पाठ में कपूर का इस्तेमाल जरूरी माना जाता है. कपूर के बिना आरती और हवन अधूरा होता है. इसे जलाने से ना सिर्फ घर का वातावरण सुगंधित बना रहता है बल्कि ये घर की नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट करता है.
✔️कपूर जलाने से घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा आती है.
✔️घर के सदस्यों के काम में अक्सर बाधा आती है तो घर में सुबह-शाम कपूर जलाना चाहिए. इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक शक्तियां घर से दूर जाती हैं. कपूर जलाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है.
✔️घर का वास्तु दोष दूर करने में कपूर बहुत उपयोगी है. एक कटोरी में कपूर के कुछ टुकड़े लेकर वास्तु दोष वाले स्थान पर रख दें. कपूर जब खत्म हो जाए तो वहां कपूर के नए टुकड़े रख दें. कुछ दिनों तक लगातार ऐसा करने से वास्तु दोष धीरे-धीरे दूर हो जाएगा.
✔️कुंडली में पितृ दोष या कालसर्प दोष हो तो व्यक्ति की तरक्की रुक जाती है. ऐसा राहु और केतु ग्रह के कारण भी होता है. इन दोषों से मुक्ति पाने के लिए घर में तीन समय सुबह, शाम और रात में कपूर जलाना चाहिए. ऐसा करने से इन दोषों से जल्द मुक्ति मिल जाती है.
✔️शनिवार के दिन नहाने के पानी में कपूर और चमेली के तेल की कुछ बूंदे डालने से शनि दोष दूर होता है. इसके प्रभाव से कार्य में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और घर में धन का आगमन होता है.
✔️सोते समय बुरे सपने आते हैं या फिर आपको डर लगता है तो अपने बेडरूप में कपूर जलाकर सोएं. इससे नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और बुरे सपने से छुटकारा मिलता है. पति-पत्नी के बीच मनमुटाव चल रहा हो तो भी बेडरूम में कपूर जलाये
✔️[3] जानिए किसी विपत्ति में कौन सा पाठ करें..
✔️शक्ति विहीन महसूस करते हैं तो - हनुमान चालीसा पढ़ें।
✔️संतान की समस्या हो तो गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र पढ़ें।
✔️कोर्ट कचहरी का मामला हो - सुन्दरकाण्ड पढ़ें?
✔️धन की समस्या हो तो कनकधारा स्तोत्र पढ़ें।
✔️आगे का रास्ता न निकल रहा हो- विष्णु सहस्रनाम पढ़ें।
✔️बीमारी के लिए - दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
✔️मन अशांत रहता हो तो- शिवाष्टकम पढ़ें।
✔️समाज मे प्रतिष्ठा न मिल रही हो तो आदित्यहृदय पाठ करे
Question:- क्या Cervacal Dhaga पहनने से पूरी तरह आराम आ जाता है?
Answer:- जी हां कई लोग इसे पहनकर पूरी तरह से ठीक हो गए हैं लेकिन यह तब होता है जब आप इसे उन हाथों से लेकर पहने जिन हाथों में किसी को ठीक करने की सफा हो क्योंकि सफा वाले हाथों से दी गई दवाई या धागा दूसरों को ठीक कर देती है इसीलिए यह धागा हमारी तरफ से दिया जाता है
Question:- यह धागा कब पहनना चाहिए और कैसे पहनना चाहिए ?
Answer:- यह धागा कब पहनना है इस की जानकारी सिर्फ वही बताएंगे जो हाथ धागा आपको दे रहे है।
Question:- क्या यह धागा बार बार पहन उतारते हैं और फिर 2 दिन बाद डालें ऐसा कर सकते हैं?
Answer:- कोशिश करिए कि यह धागा हमेशा पहने रखें इसे बार-बार उतारे पहने नहीं क्योंकि यह जब तक आपके गले में पड़ा रहेगा आपको आराम महसूस होगा ये नहीं अब आराम है तो उतार कर रख दिया और फिर 2 दिन बाद पहन लिया उसमें आराम आने के आसार कम हो जाते हैं इसे लगातार पहन कर रखना ही सही है।
Question:- इस धागे को कब तक पहनना चाहिए?
Answer:- इस धागे को आप तब तक पहने कर रखना है जब तक कि इसके अंदर जो जड़ी-बूटी है वह खुद ब खुद टूट ना जाए।
Question:- कई जगह धागा फ्री में भी मिलता है और कई बार अमेजॉन में भी दिखाई देता है तो हमें सही धागा कहां से मिलेगा?
Answer:- बिल्कुल कई लोग ये धागा खरीदकर उसे सेवा भाव से गुरुद्वारे या मंदिर में बांट देते हैं कोई भी ले सकता है आप भी ले सकते हैं लेकिन इसे खरीद कर पहनना ही ज्यादा सही है दूसरा आपने पूछा ऐमेज़ॉन में भी उपलब्ध है आप ले सकते हैं बेशक ! लेकिन अगर यह सफा वाले हाथों से लेकर पहनते हैं तो आपको आराम होने के चांस पूरे पूरे रहते हैं।
Question:- अब तक कितने लोगों को इससे आराम आया है?
Answer:- हर उस cervical patient को आराम है जिसने इसे हम से लेकर पहना है और अगर इसे किसी और से लेकर पहना है तो उसके बारे में हमें मालूम नहीं अगर आप इस धागे को लेकर किसी ने हम से लेकर पहना है तो उन्हें आराम आने के बाद उन्हें दूसरों को भी इस धागे के लिए बताया है
Question:- इस धागे के अलावा आपके पास ऐसी कौन-कौन सी चीजें हैं जो दुसरो के लिए मददगार साबित हुई है?
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आम्रपाली इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला थी, आम्रपाली का जन्म वैशाली शहर में एक आम के पेड़ के नीचे हुआ था, इसलिए उनका नाम आम्रपाली रखा गया।
बचपन से ही बेहद खूबसूरत थीं आम्रपाली जैसे-जैसे बड़ी हुईं उनकी खूबसूरती बढ़ती चली गई। जब वह छोटी हुई तो वैशाली नगर के सभी लोग उसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे।
जब आम्रपाली के माता-पिता ने आम्रपाली से शादी करने की सोची लेकिन उन्हें डर था कि अगर आम्रपाली को किसी एक व्यक्ति को सौंप दिया गया तो लोग उसकी सुंदरता के कारण उसे मार डालेंगे,
तब वे राजा के पास गए और इस समस्या को हल करने के बारे में सोचा। वैशाली गणराज्य पर खतरा देखकर आम्रपाली को पूरे शहर की दुल्हन बना दिया गया और उसकी सुंदरता उसकी सजा बन गई।
उसे एक महल दिया गया था जहाँ वह लोगों का मनोरंजन करती थी और अंततः बौद्ध भिक्षु बन गई। था।
एक बार भगवान बुद्ध वैशाली आए थे तो उनके कई शिष्य भी उनके साथ थे। सभी साधु वैशाली नगरी में भिक्षा मांगने जाते थे, तभी एक युवक बौद्ध भिक्षु आम्रपाली के महल में भिक्षा मांगने गया।
आम्रपाली बौद्ध भिक्षु की खूबसूरती पर फिदा थीं। उसने साधु को भिक्षा दी थी और उसे वर्षा ऋतु के चार महीने अपने महल में रहने के लिए आमंत्रित किया था,
फिर भिक्षु भगवान बुद्ध के पास अपने गुरु भगवान बुद्ध से अनुमति माँगने आया, तब उसने भगवान बुद्ध को पूरी घटना सुनाई। उनकी आंखों में देखकर उन्हें इजाजत दे दी गई।
बौद्ध भिक्षु चार महीने बाद आम्रपाली के साथ आया और आम्रपाली भगवान बुद्ध के चरणों में गिर पड़ी और आम्रपाली ने कहा कि मैंने इस साधु को हर तरह से अपने वश में करने की कोशिश की लेकिन वह एक पल के लिए भी इस भ्रम में नहीं पड़ा और यह कहकर आम्रपाली ने भगवान बुद्ध से अनुरोध किया उसे नन बनाने के लिए।
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चलो बुद्ध के पास
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#अपने_अपने_स्वयं बनो
नमो बुद्धाय
सभी एंजल नंबर एक विशेष श्रृंखला का pattern में हमें दिखाई देते हैं जैसे 11, 111, 1111 पर हमें कैसे पता चलता है कि यह एंजेल की संख्या है अगर कोई भी संख्या का पैटर्न हमें बार बार दिखाई दे तो वह coincidence नहीं होता यह यूनिवर्स की तरफ से भेजा गया एंजेल्स का नंबर होता है जैसे एंजल नंबर 444 इसके पीछे बहुत सा विज्ञान और अंक तत्व छुपे होते हैं पर इसका जुडाव quantum physics से भी होता है दरअसल यूनिवर्सिया ब्रह्मांड हम सब के साथ जुड़े रहते हैं और हम सब भी एक एनर्जी ही हैं
https://wealthhiwealth.com/444-angel-number-meaning/
Actually मे ब्रह्मांड की उर्जा से हम जुडे हुए हैं हर एक व्यक्ति और हर एक वह चीज जो हमें धरती पर दिखती है ये सब एक energy है और उस महान universe से contacted है यूनिवर्स angels को इस दुनिया में भेजते हैं ताकि हम और आप जीवन के सही दिशा में रह पाए या उनका दिया हुआ life गोल को पूरा कर पाए इसलिए एंजेल हमसे बात करते हैं..
हर एंजल नंबर हर एंजल नंबर जबकि हर इंसान यूनिवर्स से आंशिक रूप से जुड़ा हुआ है
क्या यह एंजल नंबर 444 या कोई अन्य भी एंजेल संख्या सबको नहीं दिखाई देती है ?
यह सब को दिखते हैं लेकिन जिनमे
Spiritual awareness होती है जिनका अंतरात्मा थोड़ा भी जागा हुआ है उन्हें यह नंबर ये simple समझ आते है कि universe या God क्या मैसेज भेजकर उन्हे गाइड कर रहे हैं अगर किसी दुविधा या कठिन परिस्थिति में है तो उनसे निकलने का कैसे रास्ता दिखाते हैं और जिसे जिस गाइडेंस की जरूरत होती है उसे वैसा ही नंबर दिखाई देता है एंजल नंबर 444 में भी यही खास संदेश है
न्यूरोलॉजी के according हर एक अंक को हम प्लस करते रहते हैं और उसे तब तक छोटा करते जाते हैं जब तक कि उसमें 1 से 9 के तक के बीच के अंक ना आ जाए इसके बारे में पूरा विस्तार से जानने के लिए numbers link पर क्लिक कर सकते हैं तो यहां 444 इन तीनों 4+4+4=12,1+2=3 , तीन नंबर बनता है इसमें हम कह सकते हैं कि अगर किसी कुछ लोग अपनी क्षमताओं को तराशने के लिए जहमत नहीं उठाते नंबर 4 हमें कड़ी मेहनत करने और जीवन के उस स्तर को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है जिसके लिए हम तड़पते हैं
444 नंबर में 3 नंबर 4 नंबर दो ना जुड़े हुए हैं जो की बहुत ही एनर्जेटिक और अच्छे नंबर हैं 390 जहां मेहनत के लिए और अच्छी रिस्पांस के लिए है वही फोन नंबर जो है वह आपको एक साइन दे रहा है कि आपकी यह जो भी काम कर रहे हैं आपको उसके लिए देवदूत आपके पक्ष में खड़े हुए हैंyess
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टाइगर स्टोन को क्यों माना जाता है फायदेमंद, जानिए क्या है नाम के पीछे की कहानी और इसे पहनने से होने वाले फायदे
ज्योतिष शास्त्र में बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय बताए गए हैं। इन्हीं में से एक है रत्न धारण करना। रत्न धारण करने से अशुभ फल नहीं मिलते। शुभ परिणाम आने लगते हैं। जीवन के कष्ट कम होने लगते हैं।
टाइगर रत्न के लाभ
टाइगर रत्न के लाभ मुख्य विशेषताएं टाइगर स्टोन एक तुरंत फल देने वाला रत्न है, यह रत्न बहुत कीमती नहीं है, इसे पहनते ही इसका प्रभाव दिखाई देता है।
टाइगर रत्न लाभ: रत्न बहुत प्रभावी होते हैं। इन्हें धारण करने से कुंडली में बैठे अशुभ ग्रह अपना अशुभ प्रभाव छोड़ कर शुभ फल देने लगते हैं। प्राचीन काल में महान राजा बहुमूल्य रत्नों का प्रयोग करते थे। रत्नों की चमक हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। ऐसा है टाइगर रत्न। यह भी अपने नाम की तरह काम करता है। टाइगर रत्न सबसे प्रभावी और शीघ्र देने वाला रत्न है। इसे टाइगर आई भी कहा जाता है। बाघ की तरह इस पत्थर पर पीली और काली धारियों के कारण इसे टाइगर स्टोन कहा जाता है। यह प्रभाव में टाइगर यानि चीता के समान लक्षण भी पैदा करता है। इसे धारण करने से तुरंत लाभ मिलता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कमी के कारण जो व्यक्ति बार-बार व्यापार और अन्य कार्यों में असफल होता है। दयनीय जीवन व्यतीत कर रहा है। टाइगर स्टोन उस व्यक्ति को अद्भुत आत्मविश्वास देता है। इसे धारण करने से पूर्ण सफलता मिलती है। जातक साहसी और मर्दाना बनता है। सिंह की तरह आत्मविश्वास भी इस रत्न को प्रदान करने में सक्षम है। इस पत्थर को डरपोक, उदासीन लोगों का अदृश्य साथी माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों में बाघ रत्न धारण करने से जागरूकता पैदा होती है।
टाइगर स्टोन की विशेषताएं
टाइगर स्टोन की विशेषताएं
बाघ रत्न सबसे प्रभावशाली और शीघ्र देने वाला रत्न है। कुछ ही देर में इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। रत्न ऊर्जा से भरे चमकीले, प्रभावशाली रत्न होते हैं। रत्नों द्वारा विभिन्न ग्रहों की किरणों और तरंगों द्वारा मानव शरीर में पहुंचकर स्थायी उपचार किया जाता है। इसे रत्न ज्योतिष कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में फल के बाद उपाय का स्थान सबसे अच्छा माना गया है। इनमें से एक उपाय है रश्मि विज्ञान जिसे रत्न ज्योतिष विज्ञान कहा जाता है। रत्न विज्ञान के आधार पर ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय उपाय के लिए रत्न धारण करने की अनुमति देते हैं। लेकिन बिना सिद्ध और प्रतिष्ठित किए रत्न धारण करना विशेष रूप से सफल या चमत्कारिक रूप से फलदायी नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस रत्न को भयभीत उदासीन लोगों का अदृश्य साथी माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों में बाघ रत्न धारण करने से जागरूकता पैदा होती है। साहस बढ़ता है। मानसिक तनाव कम होता है। यह रत्न उन लोगों के लिए भी शुभ फल प्रदान करता है जिनका भाग्य सोया हुआ है।
मृत भाग्य जीवित आता है
स्लीपिंग लक का मतलब है कि व्यक्ति अपने प्रयासों का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा है। मेहनत का फल बराबर नहीं मिल रहा है। उस व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर विभिन्न कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करना पड़ता है। जीवन में आप मृत्यु की तरह तड़पते हैं, दुर्घटनाएं होती हैं, समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, आपकी प्रसिद्धि और प्रसिद्धि कभी सामने नहीं आती है। शत्रुओं से परेशान रहेंगे। ऐसे में टाइगर स्टोन वरदान साबित होता है। इसका अभिषेक करने के बाद शनिवार के दिन सुबह इसे धारण करना चाहिए। सोए हुए भाग्य को जगा देगा यह बाघ रत्न।
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इस रत्न को धारण करने से ये सभी ग्रह सीधे गति करेंगे।
सूर्य ग्रह के लिए यह रत्न रविवार के दिन धारण करना चाहिए। इससे आपका सूर्य मजबूत होगा और आपको अनुकूल परिणाम देगा।
अगर आप अपने चंद्रमा को मजबूत करना चाहते हैं। अनुकूल परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं। इसलिए आपको यह टाइगर स्टोन सोमवार के दिन पहनना चाहिए।
मंगल को मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन इस रत्न को धारण करने से अप्रत्याशित लाभ होता है।
बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए इस रत्न को बुधवार के दिन धारण करना चाहिए।
गुरुवार के दिन इसे धारण करने से जीवन में बृहस्पति ग्रह से लाभ प्राप्त करने के लिए अनेक लाभ प्राप्त होंगे।
जो लोग शुक्र को मजबूत करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। इस रत्न को उन्हें शुक्रवार के दिन धारण करना चाहिए, सभी बुरे कार्य शीघ्र होते दिखाई देंगे।
न्याय के देवता शनि ग्रह की कृपा पाने के लिए यह रत्न बहुत उपयोगी माना जाता है। यदि आप इसे शनिवार के दिन धारण करते हैं तो आपको शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होगी। राहु ग्रह के प्रकोप से बचने के लिए बुधवार के दिन इस रत्न को धारण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
एक कहावत है। केतु छुवई खेत यानि जिस पर केतु का बुरा प्रभाव पड़ता है, केतु ग्रह उस व्यक्ति को घर या घाट में नहीं रहने देता। उसे जमीन से भी वंचित करता है, परिवार को घर छोड़ना पड़ता है। ऐसे में यह रत्न टाइगर स्टोन बहुत ही सफल माना जाता है। बुधवार के दिन इसे धारण करने से केतु अपना बुरा प्रभाव नहीं दिखाता है।
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Always chant “wolf magic begin now” 5 time a day after that read “5197148” Read it 8 times in a day written in your right side body with blue ink pan, be regular for 44 days.
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एक घर के मुखिया को अहंकार होता था कि उसका परिवार उसके बिना नहीं चल सकता।
उसकी एक छोटी सी दुकान थी। उससे होने वाली आमदनी का इस्तेमाल अपने परिवार का भरण-पोषण करने में किया जाता था।
चूंकि वह अकेला कमाने वाला था, उसे लगा कि उसके बिना कुछ नहीं हो सकता। वह लोगों के सामने अपनी बड़ाई करता था।
एक दिन वे एक संत के सत्संग में पहुंचे। संत कह रहे थे, दुनिया में किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता।
यह अभिमान व्यर्थ है कि मेरे बिना परिवार या समाज रुक जाएगा। सभी को उनके भाग्य के अनुसार मिलता है।
सत्संग समाप्त होने के बाद, मुखिया ने संत से कहा, 'मैं दिन में जो पैसा कमाता हूं वह मेरा घर चलाने के लिए उपयोग किया जाता है। मेरे बिना, मेरे परिवार के सदस्य भूखे मर जाते।
संत ने कहा, 'यह तुम्हारा भ्रम है। हर कोई अपनी किस्मत खुद खाता है।'
इस पर मुखिया ने कहा, 'तुम इसे सिद्ध करो और दिखाओ।'
संत ने कहा, 'ठीक है। आप बिना किसी को बताए कुछ महीनों के लिए घर से गायब हो जाते हैं।' उसने वैसा ही किया।
संत ने यह बात फैला दी कि बाघ ने उसे खा लिया है।
मुखिया के परिजन कई दिनों तक मातम करते रहे। अंतत: ग्रामीण उसकी मदद के लिए आगे आए।
एक सेठ ने अपने बड़े बेटे को नौकरी दी। गांव वालों ने मिलकर लड़की की शादी करा दी। एक आदमी अपने छोटे बेटे की शिक्षा के लिए भुगतान करने को तैयार हो गया।
कुछ महीनों के बाद मुखिया रात में छिपकर अपने घर आ गया। घर के लोगों ने भूत बनकर दरवाजा नहीं खोला।
जब उसने बहुत मिन्नत की और सब कुछ बता दिया तो उसकी पत्नी ने दरवाजे के अंदर से जवाब दिया...
हमें आपकी जरूरत नहीं है। अब हम पहले से ज्यादा खुश हैं। यह सुनकर उस व्यक्ति का सारा अभिमान गिर गया।
मतलब... दुनिया किसी के लिए नहीं रुकती।
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हमारे जीवन का सबसे बड़ा दर्द यह है कि हम नर्वस होते हैं। जब आप यंत्र को उठाते हैं तो वीणा को छूते समय आपके हाथ कांपने लगते हैं। डरते हैं, न जाने किस तरह का संगीत पैदा होगा। तेरा अपना वीणा, तेरा हाथ, तेरा अपना जीवन, और तू भयभीत हो गया है।
विचार उठाया है कि यह मौसम की मांग थी
वसंत आ गया था, फूल खिल गए थे, पंछी गा चुके थे, सुबह जाग उठी थी नए की तरह, घास पूरी तरह खिल उठी थी और संगीत बज उठा था।
विचार उठाया है कि यह मौसम की मांग थी
वसंत ने उसे घेर लिया था, इसलिए उसने अपने हाथ में वीणा उठा ली।
एक कांपता हुआ हाथ लेकिन यंत्र से डरता है
लेकिन हाथ कांप रहा है। क्योंकि आप जो संगीत बनाएंगे वह अज्ञात है। मुझे नहीं पता क्या होगा। आपने इस उपकरण के साथ कभी छेड़छाड़ नहीं की है। आपने यह वाद्य यंत्र कभी नहीं बजाया है। ये है तेरी वीणा लहूलुहान- तो पता नहीं क्या होगा?
आप ज्ञात से बंधे हैं। भयभीत व्यक्ति ज्ञात से बंधा होता है। उसने जो किया है उसे दोहराता रहता है। वह बार-बार किए गए कार्यों में निपुण हो जाता है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि आप अपने दुख को भी नहीं छोड़ते, क्योंकि आप इससे बहुत परिचित हो गए हैं। जाने से डरते हैं। मुझे नहीं पता कि फिर से किससे मिलना है। यह दुख है, यह मानकर कि दुख है, लेकिन यह अपना है और पुराना है। और पता चला। अब वे इसके लिए राजी हो गए हैं। किसी तरह समायोजित किया गया। कौन लेता है नया झंझट?
आप अपना जीवन नहीं बदलते हैं। क्योंकि डर है कि नए रास्ते बदलने पड़ेंगे, नई राहें बनानी होंगी, अनजान रास्ते होंगे, जिनका नक्शा पास भी नहीं है, जो कभी चले भी नहीं। अंधेरी रातें होंगी। न खोएं, न खोएं। इसलिए क्रशर की घंटी की तरह अपने ही चक्कर में चलते रहें। राज को समय-समय पर दोस्त की तलाश रहती है
आप किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं जिसे आप अपने हाथ में लें।
राज को समय-समय पर दोस्त की तलाश रहती है
और दिल हमराजी के प्यार से कांपता है
और मुझे सत्संग से डर लगता है। क्योंकि सत्संग तुम्हारा विनाश करेगा। गुरु से मिलने का अर्थ है स्वयं की मृत्यु से मिलना - पुराने शास्त्रों में कहा गया है, आचार्य मृत्यु। आचार्य मृत्यु है। सोच-समझकर चलें, हर तरह से निर्णय लें, क्योंकि आप दोबारा वापस नहीं लौट पाएंगे। गुरु के पास गए तो चले गए; फिर वापस मत जाना।
ओशो
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मैंने सुना, एक पुजारी अपने चर्च की ओर जा रहा था, रास्ते में सड़क के किनारे उसने देखा कि एक आदमी बुरी तरह से घायल हो गया था, लगभग मर चुका था। खून बह रहा था। वह दौड़ा, लेकिन जैसे ही वह उसके पास पहुंचा और उस आदमी का चेहरा देखा, वह वापस मुड़ गया। उसका चेहरा वह अच्छी तरह से
जानता था। वह आदमी कोई और नहीं बल्कि खुद शैतान था। उसने अपनी कलीसिया में शैतान का चित्र लगाया था, परन्तु शैतान ने कहा, मुझ पर दया कर। और तुम करुणा की बात करते हो, और प्रेम की बात करते हो, और क्या तुम भूल गए हो? अपने चर्च में कई बार आप प्रचार करते हैं, अपने दुश्मन से प्यार करते हैं, मैं आपका दुश्मन हूं, मुझे प्यार करो।
वह पुजारी भी उसकी तर्कयुक्त बात को नकार नहीं सका। हाँ, 'शैतान के अलावा और कौन इतना बड़ा शत्रु होगा? पहली बार उसे यह समझ में आया, लेकिन फिर भी वह मरते हुए शैतान की मदद के लिए खुद को तैयार नहीं कर सका। उन्होंने कहा, आप सही जानते हैं, लेकिन मैं जानता हूं कि शैतान शास्त्रों को उद्धृत कर सकता है। तुम मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते। यह अच्छा है कि तुम मर रहे हो। यह बहुत अच्छा है, अगर तुम मरोगे तो दुनिया बेहतर होगी। शैतान हँसा, हँसा एक बहुत ही शैतानी हंसी और उसने कहा, तुम नहीं जानते, अगर मैं मर गया तो तुम कहीं के नहीं रहोगे। तुम्हें भी मेरे साथ मरना होगा। और इस समय मैं शास्त्रों की बात नहीं कर रहा हूं, मैं व्यापार की बात कर रहा हूं। आप मेरे बिना, और आपके चर्च और आपके भगवान के बिना क्या होंगे? अचानक पुजारी को सब कुछ समझ में आ गया। उसने शैतान को अपने कंधों पर ले लिया और वह उसे अस्पताल ले गया। उसे जाना पड़ा। क्योंकि शैतान के बिना भगवान भी नहीं रह सकते।
महात्मा पापी के बिना जीवित नहीं रह सकते। वे एक-दूसरे का पालन-पोषण करते हैं, वे एक-दूसरे की रक्षा करते हैं, वे एक-दूसरे की रक्षा करते हैं। वे दो अलग-अलग लोग नहीं हैं, वे एक ही घटना के दो ध्रुव हैं।
मूल मन मन नहीं है। यह न तो पापी का मन है और न ऋषि का मन। मूल मन में कोई मन नहीं है। इसकी कोई परिभाषा नहीं, कोई सीमा नहीं। यह इतना शुद्ध है कि तुम इसे पावन भी नहीं कह सकते क्योंकि किसी चीज को शुद्ध कहने के लिए तुम्हें अपवित्रता की धारणा लानी होगी। वह इसे तब तक अपवित्र करेगी जब तक कि यह धारणा न बन जाए। यह इतना शुद्ध है, इतना शुद्ध है कि यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि यह शुद्ध है।
'केवल ध्यान से उत्पन्न मूल मन ही वासनाओं से मुक्त होता है।'
ओशो
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राजा भोज के दरबार में बड़े-बड़े पंडित थे, बहुत ज्ञानी थे और कभी-कभी उनकी परीक्षा भी लेते थे। एक दिन वह अपने तोते को महल से दरबार में ले आया। तोता एक ही बात को बार-बार दोहराते हुए एक ही रटना करता था: 'एक ही गलती है, एक ही गलती है, एक ही गलती है।'
राजा ने अपने दरबारियों से पूछा, "यह तोता किस गलती की बात कर रहा है?"
पंडित बड़े संकट में थे। और राजा ने कहा, "यदि आप सही उत्तर नहीं देते हैं, तो आपको फांसी दी जाएगी, यदि आप सही उत्तर देते हैं, तो लाखों पुरस्कार और सम्मान।"
अब अटकलबाजी नहीं चल सकती थी, यह एक खतरनाक मामला था। सही उत्तर क्या है? तोते से पूछा भी नहीं जा सकता। तोता और कुछ नहीं जानता। तोता इतना ही कहता है, तुम लाख पूछो, वही कहता है: 'एक ही गलती है।'
पंडित सोच में पड़ गए। उसने समय मांगा, खोज में निकला। जो दरबार में राजा का सबसे बड़ा पंडित था, वह भी किसी बुद्धिमान व्यक्ति को खोजने के लिए इधर-उधर घूमने लगा। अब बिना ज्ञानी के पूछे काम नहीं चलेगा। अब शास्त्रों में देखने का कोई मतलब नहीं है। अब अनुमान लगाने से काम नहीं चलेगा। जहां जीवन खतरे में है, अनुमान काम नहीं करता है। तर्क आदि भी काम नहीं करते। तोते से कुछ रहस्य नहीं निकाले जा सकते। वह बहुतों के पास गया लेकिन कोई उत्तर नहीं दे सका कि तोते के प्रश्न का उत्तर क्या होगा।
बहुत उदास होकर महल की ओर लौट रहा था कि एक चरवाहा मिला। उन्होंने पूछा, "पंडित जी, क्या आप बहुत दुखी हैं? जैसे कोई पहाड़ टूट गया हो, कि मौत आने वाली है, बहुत दुख की बात है! क्या बात है?"
तो पंडित ने अपनी समस्या बताई, जिसे दुविधा कहा। चरवाहा ने कहा, "चिंता मत करो, मैं इसे हल कर दूंगा। मुझे पता है। लेकिन केवल एक ही समस्या है। मैं चल सकता हूं लेकिन मैं बहुत कमजोर हूं और मैं इस कुत्ते को अपने कंधे पर नहीं ले जा सकता।" इसे पीछे नहीं छोड़ सकते। मैं इससे बहुत जुड़ा हुआ हूं।"
* पंडित ने कहा, "चिंता मत करो। मैं इसे अपने कंधे पर रखता हूं।
ब्राह्मण महाराज ने कुत्ते को अपने कंधे पर बिठा लिया। दोनों महल पहुंचे। तोते ने एक ही रट रखा था कि एक ही गलती है, एक ही गलती है। चरवाहा हँसा। उन्होंने कहा, ''सर, यह जो गलती है, देखिये.'' पंडित कुत्ते को कंधे पर लेकर खड़ा था।
राजा ने कहा, "मैं नहीं समझा।"
उन्होंने कहा कि "शास्त्रों में लिखा है कि पंडित कुत्ते को नहीं छूता है और अगर वह छूता है, तो स्नान करें और आपका महान पुजारी कुत्ते के साथ अपने कंधे पर खड़ा है। जिसे लालच नहीं मिलता वह छोटा है। केवल एक गलती: लालच और भय।" लालच का दूसरा पक्ष भय है, नकारात्मक पक्ष। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक तरफ डर, दूसरी तरफ लालच।"
ये दोनों बहुत अलग नहीं हैं। जो भय से धार्मिक है, वह दंड से डरता है, नरक से, वह धार्मिक नहीं है। और जो लोभ के कारण धार्मिक है, जो स्वर्ग से वासना है, वह भी धार्मिक नहीं है।
फिर कौन धार्मिक है?
धार्मिक वह है जिसमें न लोभ हो और न भय। जिसे न कुछ लुभाता है और न कुछ डराता है। केवल वही जो भय और प्रलोभन से ऊपर उठ चुका है, सत्य को देख सकता है।
सत्य को देखने के लिए लालच और भय से मुक्ति चाहिए। सत्य की पहली शर्त है निर्भयता, क्योंकि जब तक भय आपको सता रहा है, आपका मन कभी नहीं रुकेगा। भय कांपता है, भय कांपता है। तुम्हारे भीतर का प्रकाश कंपन करता रहता है। तुम्हारे भीतर लोभ से, भय की हजार लहरें उठती हैं..!!
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जय श्री कृष्ण जय जगन्नाथ
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एक सम्राट को एक गरीब महिला से प्यार हो गया। वो सम्राट था और महिला इतनी गरीब थी कि उसे खरीदा जा सकता था, कोई दिक्कत नहीं थी।
उसने महिला को बुलाया गया और उसके पिता को बुलाया गया और कहा: जो कुछ तुम चाहते हो, खजाने से ले लो, लेकिन यह लड़की मुझे देदो। मुझे इससे प्यार हो गया है।
कल मैं घोड़े पर सवार तुम्हारे गाँव से निकल रहा था मैंने उसे कुएँ पर तैरते हुए देखा, तब से मुझे नींद नहीं आ रही थी।
पिता बहुत खुश हुए, लेकिन बेटी बहुत दुखी हुई। उसने कहा, मुझे माफ कर दे ! आप कहोगे तो मैं आपके महल में आ जाऊगी लेकिन आपसे प्यार नही कर पाऊगी आपकी पत्नी भी बनूंगी, लेकिन यह प्रेम ना हो पाए ।
सम्राट विचारशील व्यक्ति थे। उन्होंने सोचा कि आखिर इसे मुझसे प्यार करने मे क्या परेशानी है?
आखिर पता करवाया गया की इसका क्या कारण है तब पता चला की वो लड़की एक साधारण से आदमी से प्यार
प्रेम करती है सम्राट को बहुत आश्चर्य हुआ!
लेकिन प्यार हमेशा बेखबर होता है। उसने अपने वजीरो से पूछा कि इस प्रेम को तोड़ने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
आप हैरान रह जाएंगे, वजीरियों द्वारा दी गई सलाह बहुत ही अद्भुत थी। आप विश्वास नहीं कर सकते कि यह सलाह कभी दी गई है।
क्योंकि यह सलाह... यह कहानी पुरानी है,
मनोवैज्ञानिक सत्य है जो चीज मिल जाती है उस से आकर्षण खत्म होने लगता है !!
वजीरों को सलाह दी गई कि उन दोनों को नग्न अवस्था में , एक दूसरे से बांधकर खंभों से बांध दिया जाए।
सम्राट ने कहा: नही वो प
नही चाहता की ये लड़की किसी और की बाँहों में टूट जाए।
वे बोले: चिंता मत करो। दोनो को इस तरह बांधा जाए गा की दोनो साथ होकर भी अलग होगे
उन्हें आलिंगन में बांधा गया और नग्न अवस्था में बांधा गया। (ओशो प्रेम आकर्षण को कैसे नष्ट करें)
अब आप जरा सोचिए कि जिस महिला या पुरूष से आप प्यार करते हैं, वह इस अवस्था मे एक दूसरे के साथ हो तो मन ही मन दोनो प्रसन्न हो रहे थे
लेकिन कोई कितना भी प्रेम मे हो आखिर कब तक गले लगा पाऐगा?ओशो प्रेम आकर्षण को कैसे नष्ट करें
पहले तो दोनों बहुत खुश हुए, क्योंकि समाज की बाधाओं के कारण उन्हें मिल भी नहीं पाया।
इ
जात-पात अलग थे, धर्म अलग था, चोरी-छिपी-छिपी-थोड़ी-थोड़ी-थोड़ी-बहुत-बहुत-बहुत।
एक दूसरे के आलिंगन में नग्न! सबसे पहले, वे बहुत खुश थे, दौड़ रहे थे और एक-दूसरे से चिपके हुए थे। लेकिन जब रस्सियों को खंबे से बांध दिया गया तो फिर कितनी खुशी है?
कुछ ही मिनट हुए होंगे जब उन्हें यह चिंता सताने लगी कि अब अलग कैसे हों, अब कैसे छूटे ? लेकिन वे बंधे रहे।
कुछ घंटे बीत गए। विसर्जन भी किया गया है। गंदगी फैल गई एक दूसरे से शरीर से बदबू भी आने लगी तडपन होने लगी एक दूसरे के बदबूदार पसीने, पेशाब और शरीर से निकलने वाली गन्दगी से धिन्न होने लगी और दोनो ही एक दूसरे से अलग होने के लिए तडपने लगे
फिर जैसे ही उसने उन्हें छोड़ा, कहानी कहती है, फिर उन्होंने एक-दूसरे की तरफ देखा भी नही, वह युवक तो गांव ही छोड़कर चला गया।
प्यार को खत्म करने का यह एक बेहतरीन उपाय था, लेकिन एक बड़ा मनोवैज्ञानिक सत्य है।
आप देखिए, पश्चिम में प्यार टूटने वाला है! कारण? स्त्री और पुरुष के बीच कोई रुकावट नहीं है, इसलिए प्रेम टूट रहा है।
स्त्री-पुरुष इतनी आसानी से उपलब्ध हो गए हैं कि प्रेम से बच नहीं सकते, प्रेम टूटेगा, केवल प्रेम टूटेगा।
संयुक्त परिवार पश्चिम में नहीं है, इसलिए एक घर में पति-पत्नी दोनों अकेले रह जाते हैं। जब तुम मिले; कहो क्या कहना है; जितनी देर आप बैठने के लिए बैठते हैं - कोई बाधा नहीं है, कोई बाधा नहीं है।
वे जल्द ही डर जाते हैं। जल्द ही खुशी दूर हो जाती है।
ओशो
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निजिंस्की पश्चिम में एक महान नर्तक हुआ। शायद मनुष्य के इतिहास में ऐसा अद्भुत नर्तक शायद ही कभी हुआ हो। क्योंकि निजिंस्की के नर्तक में यह गुण था कि वह नृत्य करते समय ऐसी ऊंची छलांग लगाता था, जो जमीन के गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध हो।
जिन लोगों ने ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने के लिए ऊंची कूद का अभ्यास किया, वे भी समान छलांग नहीं लगा सकते। और निजिंस्की एक जम्पर नहीं था। लेकिन उनके डांस के समय वह इतना ऊंचा कूद छाता था कि वैज्ञानिक चकित रह गए।
जमीन के बवंडर के विपरीत इतनी ऊंची छलांग नहीं लगाई जा सकती। और बात यहीं तक नहीं थी। मामला और भी मुश्किल हो जाता। कूद से नीचे गिरते ही….
जमीन चीजों को बहुत तेजी से अपनी ओर खींचती है। उनमें बहुत गति है। चीजें छह हजार मील प्रति मिनट की रफ्तार से खींची जाती हैं।
जब निजिंस्की अपनी छलांग से नीचे उतरा, तो वह ऐसे नीचे उतरा जैसे कबूतर के पंख धीरे-धीरे नीचे उतर रहे हों, कांपते हुए जमीन की ओर। कोई जल्दी नहीं।
ये और भी हैरान करने वाली बात थी. उनका उतरना और भी हैरान करने वाला था। उसने देश के कानून को पूरी तरह से तोड़ा।
लोग निजिंस्की से पूछते हैं, क्या बात है? आप कैसे हैं? निजिंस्की ने कहा कि मुझसे मत पूछो कि मैं कैसे करता हूं। क्योंकि जब भी मैं ऐसा करने की कोशिश करता हूं तो ऐसा नहीं होता। मैं इसे घर पर भी करने की कोशिश करता हूं, ऐसा नहीं होता है। मैंने इसे मंच पर भी करने की कोशिश की है और यह काम नहीं किया। जब मैं कोशिश करते-करते थक जाता हूं, और यह सब बकवास भूल जाता हूं, तो मुझे अचानक एक दिन पता चलता है कि यह हो गया। लेकिन ऐसा तब होता है जब मैं नहीं होता। जब मैं कोशिश नहीं करता, मैं अभ्यास नहीं करता, मैं कोशिश नहीं करता, मेरी इच्छा नहीं होती, मेरी कोई इच्छा नहीं होती। यह मेरे लिए जितना रहस्य है, उतना ही तुम्हारे लिए भी बड़ा रहस्य है। जब मैं गायब हो जाता हूं, यह घटना घटती है।
महान चित्रकारों का भी यही अनुभव होता है। जब वे नष्ट हो जाते हैं, तब ही उनके हाथ भगवान के हाथ में हो जाते हैं। महान संगीतकारों का भी अनुभव है। जब वह नहीं रहता तो कोई और, कोई अनंत शक्ति उसकी वीणा के संगीत को अलंकृत करने लगती है।
इसलिए यदि आप संगीतकार हैं और संगीत से प्यार करते हैं, तो जागरूकता की चिंता न करें। आप संगीत में डूबने की चिंता करते हैं। संगीत बना रहता है, तुम नहीं बचते। आप वहां पहुंचेंगे जहां वे लोग पहुंच गए हैं जिन्होंने सर्वोच्च जागरूकता का अभ्यास किया है। वहां भी ऐसा ही करना है। सर्वोच्च जागरूकता में भी व्यक्ति को स्वयं को भूलना पड़ता है। यह वह व्यक्ति है जब आप शुरू करते हैं। जागृति के प्रयास के ए, बी, सी, तो व्यक्ति शुरू होता है लेकिन व्यक्ति अंतिम अक्षर नहीं लिखता है। वह निराकार हमारे भीतर है, वह निराकार हमारे भीतर है, वे उसके हाथ से लिखे गए हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दरवाजे से शून्य तक पहुंचते हैं। सारे दरवाजे उसके हैं। जिस दरवाजे से तुम प्यार करते हो। क्योंकि केवल तुम्हारा प्रेम ही तुम्हें गहराईयों तक ले जा सकेगा—उन गहराईयों तक जहां तुम मरने को तैयार हो। प्यार के सिवा कुछ भी आपको मरने के लिए राजी नहीं कर सकता।
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कि जो तुम अपने लिए
चाहते हो वोही
दूसरे के लिए करने लग जाओ ..
और जो तुम अपने लिए नही चाहते हैं
वह तुम दूसरों के साथ मत करो।
प्यार का मतलब..
यह है कि आप
दूसरे को
तुम अपनी जैसा देखो
आत्मवत..
एक व्यक्ति भी आपको
अपनी तरह
दिखने लगा
तो आपके जीवन में
खिड़की खुल गई।
फिर यह खिड़की
बड़ी हो जाती है।
एक ऐसी घड़ी
आती है
पूरे अस्तित्व के साथ
आप इस तरह
व्यवहार करते हैं जैसा
आप अपने साथ व्यवहार
करना चाहते हैं ।
और जब सारे
अस्तित्व के साथ
इस तरह व्यवहार करते हो जैसे
सारा अस्तित्व तुम्हारा ही फैलाव है।
और सारा अस्तित्व भी
उसी तरह व्यवहार करता है।
आप जो देते हैं
आपके पास वापस आता है।
तुम थोड़ा प्रेम देते हो
तो प्रेम हजार गुणा होकर
आप पर बरसता है।
तुम थोड़ा मुस्कुराओ
पूरी दुनिया
तुम्हारे साथ मुस्कुराने लगती है।
कहावत है कि
रोओगे तो अकेले रोओगे
हंसो पूरा अस्तित्व
आपके साथ हंसता है
बहुत अच्छी कहावत है।
रोने के लिए कोई साथी नहीं है। क्यो ..
क्योंकि अस्तित्व रोना जानता ही नही
अस्तित्व केवल
उत्सव जानता है।
यह उसकी गलती भी नहीं है।
रोओ - तुम अकेले रोओगे।
जो रोता है वह अकेला रह जाता है।
हंसने के लिए
सभी दोस्त बन जाते हैं
सभी अस्तित्व
शामिल हो जाता है।
प्रेम आपको हंसाएगा।
प्रेम तुम्हें ऐसी मुस्कुराहट देगा जो बनी ही रहती है
जो न छीनने वाली मुस्कुराहट दे बस वही तो सच्चा प्रेम है।
एक गहरी मिठास जो तुम्हारे रोऐ रोऐ मे फैल जाती हो बस यही प्यार का नियम है.....
#ताओ उपनिषद~
ओशो
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