Osho Philosophy Hindi (दूसरे की चिंता छोड़ो)
💃 दूसरे की चिंता छोड़ो💃
तुमने खयाल किया, स्नानगृह में दर्पण के सामने तुम फिर से छोटे बच्चे हो जाते हो, मुंह बिचकाते हो, अपने पर ही हंसते भी हो। खो गए बीच के दिन, फिर तुम छोटे बच्चे हो गए, लौट आई एक प्रामाणिकता, एक सच्चाई। बाहर निकलते ही तुम दूसरे आदमी हो जाते हो। घर में तुम एक होते हो, बाजार में तुम और भी दूसरे हो जाते हो।
जितनी दूसरों की और परायों की मौजूदगी बढ़ती चली जाती है, उतना ही जाल बड़ा होता जाता है, उतनी ही उलझन होती जाती है: हजारों आंखों को राजी करना है; हजारों लोगों को प्रसन्न करना है। इसलिए तो इतना पाखंड है।
वही व्यक्ति सच्चा हो सकता है, जिसने इसकी चिंता छोड़ दी कि दूसरे क्या सोचते हैं।
मगर उस आदमी को हम पागल कहते हैं, जो इसकी चिंता छोड़ देता है कि दूसरे क्या कहते हैं। इसलिए सत्य के खोजी के जीवन में ऐसा पड़ाव आता है जब उसे करीब-करीब पागल हो जाना पड़ता है; फिक्र छोड़ देता है कि दूसरे क्या कहते हैं, हंसते हैं, मजाक करते हैं। ऐसे जीने लगता है जैसे दूसरे हैं ही नहीं.......😍
💓 _*ओशो*_ 💓
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