Osho Philosophy Hindi (ओशो प्रेम आकर्षण को कैसे नष्ट करें)
ओशो प्रेम आकर्षण को कैसे नष्ट करें
एक सम्राट को एक गरीब महिला से प्यार हो गया। वो सम्राट था और महिला इतनी गरीब थी कि उसे खरीदा जा सकता था, कोई दिक्कत नहीं थी।
उसने महिला को बुलाया गया और उसके पिता को बुलाया गया और कहा: जो कुछ तुम चाहते हो, खजाने से ले लो, लेकिन यह लड़की मुझे देदो। मुझे इससे प्यार हो गया है।
कल मैं घोड़े पर सवार तुम्हारे गाँव से निकल रहा था मैंने उसे कुएँ पर तैरते हुए देखा, तब से मुझे नींद नहीं आ रही थी।
पिता बहुत खुश हुए, लेकिन बेटी बहुत दुखी हुई। उसने कहा, मुझे माफ कर दे ! आप कहोगे तो मैं आपके महल में आ जाऊगी लेकिन आपसे प्यार नही कर पाऊगी आपकी पत्नी भी बनूंगी, लेकिन यह प्रेम ना हो पाए ।
सम्राट विचारशील व्यक्ति थे। उन्होंने सोचा कि आखिर इसे मुझसे प्यार करने मे क्या परेशानी है?
आखिर पता करवाया गया की इसका क्या कारण है तब पता चला की वो लड़की एक साधारण से आदमी से प्यार
प्रेम करती है सम्राट को बहुत आश्चर्य हुआ!
लेकिन प्यार हमेशा बेखबर होता है। उसने अपने वजीरो से पूछा कि इस प्रेम को तोड़ने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
आप हैरान रह जाएंगे, वजीरियों द्वारा दी गई सलाह बहुत ही अद्भुत थी। आप विश्वास नहीं कर सकते कि यह सलाह कभी दी गई है।
क्योंकि यह सलाह... यह कहानी पुरानी है,
मनोवैज्ञानिक सत्य है जो चीज मिल जाती है उस से आकर्षण खत्म होने लगता है !!
वजीरों को सलाह दी गई कि उन दोनों को नग्न अवस्था में , एक दूसरे से बांधकर खंभों से बांध दिया जाए।
सम्राट ने कहा: नही वो प
नही चाहता की ये लड़की किसी और की बाँहों में टूट जाए।
वे बोले: चिंता मत करो। दोनो को इस तरह बांधा जाए गा की दोनो साथ होकर भी अलग होगे
उन्हें आलिंगन में बांधा गया और नग्न अवस्था में बांधा गया। (ओशो प्रेम आकर्षण को कैसे नष्ट करें)
अब आप जरा सोचिए कि जिस महिला या पुरूष से आप प्यार करते हैं, वह इस अवस्था मे एक दूसरे के साथ हो तो मन ही मन दोनो प्रसन्न हो रहे थे
लेकिन कोई कितना भी प्रेम मे हो आखिर कब तक गले लगा पाऐगा?ओशो प्रेम आकर्षण को कैसे नष्ट करें
पहले तो दोनों बहुत खुश हुए, क्योंकि समाज की बाधाओं के कारण उन्हें मिल भी नहीं पाया।
इ
जात-पात अलग थे, धर्म अलग था, चोरी-छिपी-छिपी-थोड़ी-थोड़ी-थोड़ी-बहुत-बहुत-बहुत।
एक दूसरे के आलिंगन में नग्न! सबसे पहले, वे बहुत खुश थे, दौड़ रहे थे और एक-दूसरे से चिपके हुए थे। लेकिन जब रस्सियों को खंबे से बांध दिया गया तो फिर कितनी खुशी है?
कुछ ही मिनट हुए होंगे जब उन्हें यह चिंता सताने लगी कि अब अलग कैसे हों, अब कैसे छूटे ? लेकिन वे बंधे रहे।
कुछ घंटे बीत गए। विसर्जन भी किया गया है। गंदगी फैल गई एक दूसरे से शरीर से बदबू भी आने लगी तडपन होने लगी एक दूसरे के बदबूदार पसीने, पेशाब और शरीर से निकलने वाली गन्दगी से धिन्न होने लगी और दोनो ही एक दूसरे से अलग होने के लिए तडपने लगे
फिर जैसे ही उसने उन्हें छोड़ा, कहानी कहती है, फिर उन्होंने एक-दूसरे की तरफ देखा भी नही, वह युवक तो गांव ही छोड़कर चला गया।
प्यार को खत्म करने का यह एक बेहतरीन उपाय था, लेकिन एक बड़ा मनोवैज्ञानिक सत्य है।
आप देखिए, पश्चिम में प्यार टूटने वाला है! कारण? स्त्री और पुरुष के बीच कोई रुकावट नहीं है, इसलिए प्रेम टूट रहा है।
स्त्री-पुरुष इतनी आसानी से उपलब्ध हो गए हैं कि प्रेम से बच नहीं सकते, प्रेम टूटेगा, केवल प्रेम टूटेगा।
संयुक्त परिवार पश्चिम में नहीं है, इसलिए एक घर में पति-पत्नी दोनों अकेले रह जाते हैं। जब तुम मिले; कहो क्या कहना है; जितनी देर आप बैठने के लिए बैठते हैं - कोई बाधा नहीं है, कोई बाधा नहीं है।
वे जल्द ही डर जाते हैं। जल्द ही खुशी दूर हो जाती है।
ओशो
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