google.com, pub-8281854657657481, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Osho Philosophy Hindi: Osho Hindi

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Osho Hindi

 

समस्त बुद्धपुरुषों ने एक ही पुकार 

समस्त बुद्धपुरुषों ने एक ही पुकार


समस्त बुद्धपुरुषों ने एक ही पुकार दी है, सतत एक ही पुकार दी है कि जितने जल्दी हो सके इस बात को समझ लो कि जीवन एक अवसर है। इस अवसर में कूड़ा-करकट भी इकट्ठा कर सकते हो, परमात्मा की संपदा भी पा सकते हो। जीवन एक जाल है, अगर मछली फांसनी ही हो तो समाधि की फांसना; उससे कम पर राजी मत होना। उससे जो कम पर राजी हुआ है, नासमझ है। जिसे यह दिखाई पड़ना शुरू हो जाए कि जो भी मैं कर रहा हूं, करता रहा हूं, व्यर्थ की आपाधापी है--उसके जीवन में संन्यास की किरण उतरती है।


और सुबह हो गई तो सांझ होने में ज्यादा देर नहीं है। सुबह हो गई तो सांझ हो गई। जन्म हुआ तो मौत हो गई। मिलन हुआ तो विछोह की तैयारी हो गई। जो भी बनता है यहां, मिट जाता है।

जरा जागो! समय बीता चला। कमल की पंखुरियां बंद होने लगीं। सूरज पश्चिम में उतर आया; अब डूबा, तब डूबा। फिर गहन अंधेरी रात है। फिर गर्भ की गहन अंधेरी रात है। और फिर यही जन्म शुरू होगा और फिर यही दौड़। और बहुत बार यह दौड़ हो चुकी। अगर अब भी नहीं जागते तो कब जागोगे? ऐसे भी बहुत देर हो चुकी है।


ओशो

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