google.com, pub-8281854657657481, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Osho Philosophy Hindi: परमात्मा से क्या मांगे ? osho hindi

Thursday

परमात्मा से क्या मांगे ? osho hindi

परमात्मा के सामने जब तुम हाथ फैलाते हो, तुम मांगते क्या हो?


परमात्मा के सामने जब तुम हाथ फैलाते हो, तुम मांगते क्या हो? संसार ही मांगते हो। तुम्हारे हाथ ही संसारी हैं। तुम जब परमात्मा की प्रार्थना करने लगते हो, तुम्हारी प्रार्थना खुशामद जैसी होती है। इसलिए तो प्रार्थना को स्तुति कहते हैं--कि तू महान है, कि तू पतित-पावन है। यह तुम किस पर मक्खन लगा रहे हो!

तुमने मक्खन लगाना सीखा संसार में। यहां तुमने देखे लोग, जिनके अहंकार को जरा फुसलाओ--मक्खन लगाओ, मालिश करो--फिर जो भी तुम करवाना चाहो, करवा लो। गधों को घोड़े कहो, वे प्रसन्न हो जाते हैं। जब रास्ते पर तुम बिना प्रकाश की साइकिल से पकड़ जाओ, पुलिस वाले को इंस्पेक्टर कहो, वह छोड़ देता है।

वही आदमी भगवान की खुशामद कर रहा है, वह सोचता है कि ठीक है, समझा-बुझा लेंगे। लेकिन असली मंशा उसकी थोड़ी देर बाद जाहिर होती है, वह कहता है, नौकरी नहीं मिल रही। अब वह यह कह रहा है, इतनी प्रार्थना की तेरी और नौकरी नहीं मिल रही है, अब तेरी प्रार्थना में संदेह पैदा हुआ जा रहा है। अब तेरी इज्जत का सवाल है। अब बचा अपनी इज्जत, लगवा नौकरी। कि लड़का बीमार है, ठीक नहीं हो रहा है। और मैं इतनी तेरी पूजा कर रहा हूं। और तू क्या कर रहा है?

तुम्हारी प्रार्थना में भी शिकायत है। अगर शिकायत न हो, तो प्रार्थना ही नहीं होती। प्रार्थना की क्या जरूरत है?♣️

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