Sunday

Osho Philosophy Hindi (प्रेम का सूत्र क्या है ?)

 प्रेम का सूत्र क्या है ?


  कि  जो तुम अपने लिए

 चाहते हो वोही

  दूसरे के लिए करने लग जाओ  ..

  और जो तुम अपने लिए नही चाहते हैं

  वह तुम दूसरों के साथ मत करो।


  प्यार का मतलब..

 

  यह है कि आप 

  दूसरे को 

  तुम अपनी जैसा  देखो 

  आत्मवत..


  एक व्यक्ति भी  आपको 

  अपनी तरह

  दिखने लगा

  तो आपके जीवन में

  खिड़की खुल गई।



  फिर यह खिड़की

  बड़ी हो जाती है।

  एक ऐसी घड़ी

  आती है

  पूरे अस्तित्व के साथ

 आप  इस  तरह

  व्यवहार करते हैं जैसा 

  आप अपने साथ व्यवहार 

  करना चाहते हैं ।

और जब सारे 

  अस्तित्व के साथ

  इस तरह व्यवहार करते हो जैसे

 सारा अस्तित्व तुम्हारा ही फैलाव है।

  और सारा अस्तित्व भी

  उसी तरह व्यवहार करता है।

  आप जो देते हैं

  आपके पास वापस आता है।


 तुम थोड़ा प्रेम देते हो

  तो प्रेम हजार गुणा होकर 

  आप पर बरसता है।

  तुम थोड़ा मुस्कुराओ

  पूरी दुनिया

  तुम्हारे साथ मुस्कुराने लगती है।


  कहावत है कि

  रोओगे तो अकेले रोओगे

  हंसो पूरा अस्तित्व

  आपके साथ हंसता है


  बहुत अच्छी कहावत है।

  रोने के लिए कोई साथी नहीं है। क्यो ..

  क्योंकि अस्तित्व रोना जानता ही नही

  अस्तित्व केवल

  उत्सव जानता है।

  यह उसकी गलती भी नहीं है।

  रोओ - तुम अकेले रोओगे।

  जो रोता है वह अकेला रह जाता है।

  हंसने के लिए

  सभी दोस्त बन जाते हैं

  सभी अस्तित्व

  शामिल हो जाता है।


 प्रेम आपको हंसाएगा।

  प्रेम तुम्हें ऐसी मुस्कुराहट देगा जो बनी ही रहती है 

  जो न  छीनने वाली मुस्कुराहट दे बस वही तो सच्चा प्रेम है।

  एक गहरी मिठास जो तुम्हारे रोऐ रोऐ मे फैल जाती हो बस यही प्यार का नियम है.....


  #ताओ उपनिषद~


  ओशो

Labels: ,

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home