google.com, pub-8281854657657481, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Osho Philosophy Hindi: Osho Philisophy {रोना}

Tuesday

Osho Philisophy {रोना}



रोना , (आंसू )


रोने का अर्थ क्या है? रोने का अर्थ है: कोई भाव इतना प्रबल हो गया है कि अब आंसुओं के अतिरिक्त उसे प्रकट करने का कोई और उपाय नहीं है। फिर वह भाव चाहे दुख का हो, चाहे आनंद का हो।

आंसू अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। गहन भावनाओं को,जो हृदय के गहरे से उठती हैं, वे आंसुओं में ही प्रकट हो सकती हैं। शब्द छोटे पड़ते हैं। गीत छोटे पड़ते हैं। जहां गीत चूक जाते हैं, वहां आंसू शुरू होते हैं। जो किसी और तरह से प्रकट नहीं होता वह आंसुओं से प्रकट होता है। आंसू तुम्हारे भीतर कोई ऐसी भाव-दशा से उठते हैं जिसे सम्हालना और संभव नहीं है, जिसे तुम न सम्हाल सकोगे, जिसकी बाढ़ तुम्हें बहा ले जाती है।

फिर, ये आंसू चूंकि आनंद के हैं, इनमें मुस्कुराहट भी मिली होगी, इनमें हंसी का स्वर भी होगा। और चूंकि ये आंसू अहोभाव के हैं, इनमें गीत की ध्वनि भी होगी। तो गाओ भी,रोओ भी, हंसो भी--तीनों साथ चलने दो। कंजूसी क्या? एक क्यों? तीनों क्यों नहीं?

लेकिन, मन हिसाबी-किताबी है। वह सोचता है: एक करना ठीक मालूम पड़ता है--या तो गा लो या रो लो। मैं तुमसे कहता हूं कि इस हिसाब को तोड़ने की ही तो सारी चेष्टा चल रही है। यही तो दीवाने होने का अर्थ है।

तुमने अगर कभी किसी को रोते, हंसते, गाते एक साथ देखा हो, तो सोचा होगा पागल है। पागल ही कर सकता है इतनी हिम्मत। होशियार तो कमजोर होता है, होशियारी के कारण कमजोर होता है। होशियार तो सोच-सोच कर कदम रखता है, सम्हाल-सम्हाल कर कदम रखता है। उसी सम्हालने में तो चूकता चला जाता है।

होशियारों को कब परमात्मा मिला! होशियार चाहे संसार में साम्राज्य को स्थापित कर लें, परमात्मा के जगत में बिलकुल ही वंचित रह जाते हैं। वह राज्य उनका नहीं है। वह राज्य तो दीवानों का है। वह राज्य तो उनका है जिन्होंने तर्क-जाल तोड़ा, जो भावनाओं के रहस्यपूर्ण लोक में प्रविष्ट हुए।

इन तीनों द्वारों को एक साथ ही खुलने दो। परमात्मा ने हृदय पर दस्तक दी, तब ऐसा होता है। इसे सौभाग्य समझो।

ओशो
पद घुँघरू बांध, प्रवचन #20

☀️🙏☀️

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